Wednesday, 26 September 2018

पती पत्नी का संबन्ध कैसा होना चाहिए

दाम्पत्य कहते किसे हैं? क्या सिर्फ विवाहित होना या पति-पत्नी का साथ रहना दाम्पत्य कहा जा सकता है। पति-पत्नी के बीच का ऐसा धर्म संबंध जो कर्तव्य और पवित्रता पर आधारित हो। इस संबंध की डोर जितनी कोमल होती है, उतनी ही मजबूत भी। जिंदगी की असल सार्थकता को जानने के लिये धर्म-अध्यात्म के मार्ग पर दो साथी, सहचरों का प्रतिज्ञा बद्ध होकर आगे बढऩा ही दाम्पत्य या वैवाहिक जीवन का मकसद होता है।
यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तरों पर स्त्री और पुरुष दोनों ही अधूरे होते हैं। दोनों के मिलन से ही अधूरापन भरता है। दोनों की अपूर्णता जब पूर्णता में बदल जाती है तो अध्यात्म के मार्ग पर बढऩा आसान और आनंद पूर्ण हो जाता है। दाम्पत्य की भव्य इमारत जिन आधारों पर टिकी है वे मुख्य रूप से सात हैं। रामायण में राम सीता के दाम्पत्य में ये सात बातें देखने को मिलती हैं।

संयम : यानि समय-समय पर उठने वाली मानसिक उत्तेजनाओं जैसे- कामवासना, क्रोध, लोभ, अहंकार तथा मोह आदि पर नियंत्रण रखना। राम-सीता ने अपना संपूर्ण दाम्पत्य बहुत ही संयम और प्रेम से जीया। वे कहीं भी मानसिक या शारीरिक रूप से अनियंत्रित नहीं हुए।
संतुष्टि : यानि एक दूसरे के साथ रहते हुए समय और परिस्थिति के अनुसार जो भी सुख-सुविधा प्राप्त हो जाए उसी में संतोष करना। दोनों एक दूसरे से पूर्णत: संतुष्ट थे। कभी राम ने सीता में या सीता ने राम में कोई कमी नहीं देखी।
संतान : दाम्पत्य जीवन में संतान का भी बड़ा महत्वपूर्ण स्थान होता है। पति-पत्नी के  बीच के संबंधों को मधुर और मजबूत बनाने में बच्चों की अहम् भूमिका  रहती है। राम और सीता के बीच वनवास को खत्म करने और सीता को पवित्र साबित करने में उनके बच्चों लव और कुश ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
संवेदनशीलता : पति-पत्नी के रूप में एक दूसरे की भावनाओं का समझना और उनकी कद्र करना। राम और सीता के बीच संवेदनाओं का गहरा रिश्ता था। दोनों बिना कहे-सुने ही एक दूसरे के मन की बात समझ जाते थे।
संकल्प : पति-पत्नी के रूप अपने धर्म संबंध को अच्छी तरह निभाने के  लिये अपने कर्तव्य को संकल्पपूर्वक पूरा करना।
सक्षम : सामर्थ्य का होना। दाम्पत्य यानि कि वैवाहिक जीवन को सफलता और खुशहाली से भरा-पूरा बनाने के लिये पति-पत्नी दोनों को शारीरिक, आर्थिक  और मानसिक रूप से मजबूत होना बहुत ही आवश्यक है।
समर्पण : दाम्पत्य यानि वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी का एक दूसरे के  प्रति  पूरा समर्पण और त्याग होना भी आवश्यक  है। एक-दूसरे की खातिर अपनी कुछ इच्छाओं और आवश्यकताओं को त्याग देना या  समझौता कर लेना दाम्पत्य संबंधों को मधुर बनाए रखने के लिये बड़ा ही जरूरी होता है।
कैसे बनाएं अपनी गृहस्थी को सुखी और सफल? सीखें ये सूत्र...
पति-पत्नी किसी भी गृहस्थी की धुरी होते हैं। इनकी सफल गृहस्थी ही सुखी परिवार का आधार होती है। अगर पति-पत्नी के रिश्ते में थोड़ा भी दुराव या अलगाव है तो फिर परिवार कभी खुश नहीं रह सकता। परिवार का सुख, गृहस्थी की सफलता पर निर्भर करता है।
पति-पत्नी का संबंध तभी सार्थक है जबकि उनके बीच का प्रेम सदा तरोताजा बना रहे। तभी तो पति-पत्नी को दो शरीर एक प्राण कहा जाता है। दोनों की अपूर्णता जब पूर्णता में बदल जाती है तो अध्यात्म के मार्ग पर बढऩा आसान और आंनदपूर्ण हो जाता है। मात्र पत्नी से ही सारी अपेक्षाएं करना और पति को सारी मर्यादाओं और नियम-कायदों से छूट दे देना बिल्कुल भी निष्पक्ष और न्यायसंगत नहीं है। स्त्री में ऐसे कई श्रेष्ठ गुण होते हैं जो पुरुष को अपना लेना चाहिए। प्रेम, सेवा, उदारता, समर्पण और क्षमा की भावना स्त्रियों में ऐसे गुण हैं, जो उन्हें देवी के समान सम्मान और गौरव प्रदान करते हैं।
जिस प्रकार पतिव्रत की बात हर कहीं की जाती है, उसी प्रकार पत्नी व्रत भी उतना ही आवश्यक और महत्वपूर्ण है। जबकि गहराई से सोचें तो यही बात जाहिर होती है कि पत्नी के लिये पति व्रत का पालन करना जितना जरूरी है उससे ज्यादा आवश्यक है पति का पत्नी व्रत का पालन करना। दोनों का महत्व समान है। कर्तव्य और अधिकारों की दृष्टि से भी दोनों से एक समान ही हैं!
#### दोनो को इन सब चीजो से दुर होना होगा**1. 1 तुलना करना>>>>>जब शादी को काफी साल बीत जाते हैं तो पति-पत्नी एक-दूसरे में कमियां निकालने लगते हैं और दूसरों से तुलना करने लगते हैं। अक्सर महिलाएं अपने पति के काम और पर्सनेलिटी की अपने भाई या किसी दोस्त से तुलना करती है जिससे बात-बात पर झगड़े होने लगते हैं।

2. दिन की शुरूआत>>>>कामकाज वाली महिलाओं को सुबह के समय काफी काम होता है। जल्दी उठकर बच्चों और पति के लिए ब्रेकफास्ट तैयार करना, खुद तैयार होना और घर की साफ-सफाई करना, लेकिन इस सब कामों के लिए उसके पास समय कम होता है और वह सुबह उठते ही चिड़चिड़ी हो जाती है। इसी स्वभाव के साथ जब महिलाएं अपने पति के साथ बात करती हैं तो मनमुटाव हो जाता है।

3. रूचियां खत्म होना>>>>अक्सर देखा गया है कि शादी के बाद एक-दूसरे को मनाना और खुश रखने की कोशिश करना मजबूरी लगने लगती है। ऐसे में जब अपने पार्टनर के लिए कुछ करने की रूचि खत्म होने लगे तो रिश्ता मजबूरी लगने लगता है जिस वजह से रिश्ते में दरार आ जाती है। ऐसे में रिश्ता चाहे जितना भी पुराना हो उसमें कभी भी बोरियत न आने दें।

4. पैसों की चर्चा>>>>घर को चलाने के लिए पैसों की जरूरत तो होती ही है लेकिन जब महिलाएं हमेशा अपने पति से पैसों को लेकर चर्चा करती रहे और पैसों को ही अहमियत दे तो रिश्ता खराब हो जाता है। रिश्ते में प्यार बनाए रखने के लिए कभी भी पैसों को बीच में न आने दें।

5. गुस्सा करना>>>>ऑफिस में काम के दौरान मानसिक तनाव हो जाती है जिस वजह से कई बार पति का घर आकर किसी से बात करने का मन नहीं करता लेकिन महिलाएं यह बात नहीं समझती और अपने पूरे दिन की सारी बातें पति को सुनाने बैठ जाती है जिस वजह से पति गुस्से में कुछ गलत बोल देता है और लड़ाई-झगड़े  होने लगते हैं। ऐसे में महिलाओं को इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि कब कौन-सी बात करनी है लेकिन पुरूषों को भी चाहिए कि वे अपने ऑफिस का तनाव घर पर न लाएं और पत्नी व बच्चों के साथ अच्छा समय व्यतीत करें।

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